उम्र मायने नहीं रखता

             उम्र मायने नहीं रखता

                  Age doesn't matter



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शोभा को उसके पति ने छोड़ दिया है। हालांकि वह से बहुत प्यार करती थी लेकिन उसके पति ने किसी और से शादी कर लिया। और इस बेचारी औरत को डिवोर्स दे दिया । 

अब सोभा का एक बेटा है उसी के सहारे अपनी जिंदगी काट रही है । बहुत ही समझदार और शांत किस्म की औरत थी । वह दूसरों के लिए बहुत कुछ करती थी। और उसका स्वभाव बहुत पसंद आता था सबको। वह दूसरों के घर में काम किया करती थी ताकि वह अपना और अपने बच्चे का पेट पाल सके।

उसका बेटा जब 10 साल का हो जाता है उसकी इच्छा होती है कि वह प्राइवेट स्कूल में पढ़े ताकि वह बहुत अच्छे से पढ़ाई कर सके और एक अच्छी सी नौकरी ले सके। वह अपनी मां से बहुत प्यार करता था और शोभा को भी उस पर बहुत उम्मीद था। वह अपने बेटे रवि को बहुत ज्यादा मानती थी क्योंकि उसका इस दुनिया में बस वही एक सहारा बचा था। रवि‌ अपनी मां को इतना काम करता देख और मेहनत करके पढ़ता था।

क्योंकि उसकी मां दूसरों के घर पर खाना बनाने के साथ-साथ स्टेशन पर चाय भी भेजा करती थी और थोड़ी देर कंपनी में भी काम किया करती थी ताकि घर का खर्चा चल सके और उसका बेटा अच्छे से पढ़ सके । 

उसे बहुत शौक था कि वह भी पढ़े। इसलिए जब रवि स्कूल जाता था । वहां से आता था तो रात में सुबह उससे कुछ ना कुछ सीख दी थी वह भी चाहती थी कि वह भी किताब पढ़े और परीक्षा दे उसे भी पढ़ने का बहुत शौक था पर अफसोस हो अनपढ़ थी। फिर भी उसने रवि से बहुत सारी चीजें सीख ली। और उसे थोड़ा बहुत पेपर पढ़ना आ गया था। 

मां अपने बेटे से जोड़ घटाव और इंग्लिश के अल्फाबेट्स सीख लेती है। उसके मन में आता है कि वह भी चुना एग्जाम देकर देखें। 

सुबह की शादी 13 साल की उम्र में ही कर दी गई थी और उसका बेटा रवि जब वह 16 साल की थी तभी पैदा हुआ था । और बेचारी को उसके पति ने 25 साल की उम्र में ही छोड़ दिया था। उसके ससुराल वाले बच्चे नहीं थे उनका मानना था कि लड़की ठीक नहीं है तभी तो लड़का किसी और के चक्कर में पड़ गया यह खुश नहीं रख पाती होगी उसको । 

जब उसके पति आदित्य ने उसे छोड़ दिया वह बहुत टूट चुकी थी क्योंकि वह से बहुत मानती थी और उस परिवार को भी बहुत इज्जत देती थी बहुत मानती थी सबके लिए इतना कुछ करने के बाद भी उसकी कोई कदर नहीं की गई और उसे घर से कचरे की तरफ फेंक दिया गया। पर वह किसी तरह अपने बेटे को लेकर बाहर निकल गई और कमाकर खाने का फैसला किया। 

क्योंकि मायके में भी लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे जो वह नहीं सह पा रही थी उसके माता-पिता भी नहीं चाहती थी कि वह यहां रहे क्योंकि उसकी वजह से उन्हें भी बहुत सारी चीजें सुननी पड़ रही थी और उनकी एक और छोटी बहन भी थी। उसकी चिंता को लेकर माता-पिता भी कहते हैं तुम कहीं और चली जाओ नहीं चाहते थे कि वहां रहे। इसलिए मुझे चारी वहां से भी चली जाती है। ‌‌

रवि सिंह अल्फाबेट दुर्घटना और रीडिंग करना सीखने के बाद वह फैसला लेती है कि वह भी स्कूल में एडमिशन करवाएगी और 10th पास करेगी । वह पूरा दिन काम करके घर आती और खाना बनाती थी अपने बेटे रवि को खिलाने के बाद वह पढ़ने बैठ जाती थी रात में थोड़ा देर पढ़ने के बाद ही वह सोती थी। उसे धीरे-धीरे किताबों में बहुत ही दिलचस्पी आने लगी।

वह खाना बनाने जाती थी वह लड़कों का लॉज था । 

वह लोग भी स्टूडेंट थी थी इसलिए सुबह पूछती हैं अगर मैं 10th का क्लास करना चाहूं तो कौन सा ट्यूशन अच्छा रहेगा। उसकी यह बात सुनकर सभी खुश हो जाते हैं और बोलते हैं आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है हम आप को पढ़ाएंगे औ।

आप इतने दिन से हम मां की तरह खाना बना कर दे रही हो आपके लिए इतना तो कर ही सकते हैं । ‌‌‌‌ सुबह बहुत खुश हो जाती है और पडने पर ध्यान देने लगती है। बोरोजुने खाना बना कर देती और उसके बाद शाम में थोड़ा सा समय निकाल कर उनके पास पढ़ने जाती थी। इस तरह से वह अपनी दसवीं कक्षा पास कर लेती है। 

इधर रवि बड़ा हो जाता है और उसकी कक्षा भी बड़ी होने के वजह से उसका फीस भी बढ़ जाता है । जिसको पूरा करना शायद नामुमकिन के बराबर लग रहा था ।  रवि पढ़ने में बहुत ही अच्छा था अपनी मां की स्थिति देखकर वह मना कर देता है वह कहता है नहीं मैं नहीं पढ़ लूंगा स्कूल में मैं किसी तरह नौकरी ले लूंगा। पर सुबह इंकार कर देती है और काम ढूंढना शुरू कर देती है। बहुत कोशिश करने के बाद उसे मॉल में काम मिल जाता है जान थोड़ी अच्छी खासी सैलरी मिल रही थी। पर ऐसा करने से शोभा को टाइम नहीं मिल पा रहा था खुद के लिए पढ़ने का वह अपनी पढ़ाई छोड़ कर अपने बेटे पर ध्यान देती है और सामान में सोचती है यही तो मेरा सब कुछ है और आने वाला भविष्य भी मैं पढ़ कर क्या करूंगी ऐसा सोचकर वह अपने सपनों का बलिदान दे देती है। 

रवि बहुत तेज और होशियार था । कॉलेज से निकलने के बाद नौकरी ले लेता । उसे बहुत बड़ी कंपनी में जॉब मिल जाती है।

सुबह बहुत खुश होती है उसका सपना जैसे सच हो चुका था। उसे जैसे यह पता चलता है कि रवि को जॉब लग गई है वह सबसे पहले मिठाई लेकर आती है और उसका मुंह मीठा करती है और अभी भी अपनी मां का मुंह मीठा करता है और दोनों बहुत खुश हो जाते हैं क्योंकि उनकी सारी तकलीफ है अब दूर हो जाती। 


कुछ दिन बाद रवि के लिए रिश्ता नहीं लगता है । दोनों आमने सामने कुर्सी पर बैठे हुए थे तभी । उसकी मां बोलती है है बेटा शादी तो अब करनी पड़ेगी तुम्हें क्योंकि अब उम्र भी हो चुका तुम्हारा शादी करने का इसलिए मुझे लगता है तुमको शादी कर लेनी चाहिए। रवि थोड़ा देर सोचता है । और बोलता है अभी तो जॉब मिली है घर बनाना है ।  फिर बाकी घर बनाने के बाद में कर लूंगा । 

कुछ दिन बाद सुबह घर का सारा काम करके बेड पर बैठी थी कि दरवाजे पर दस्तक देता है । वह जाकर जब दरवाजा खोलती है तो दे सकती है रवि के साथ एक और लड़की है और उस दोनों ने शादी कर रखा है। रवि थोड़ा सा हिचकी जाता है वर्तमान में से प्यार करता हूं और हम दोनों ने कोर्ट मैरिज शादी कर लिया । इसके घरवाले नहीं मान रहे थे इसलिए सॉरी मैं आपको बिना बताए यह कदम उठाने के लिए। 

सुबह को अंदर से बहुत बुरा लगता है क्योंकि वह बहुत सपना सजा के रखे थे कि उसकी बेटी की दुल्हन उसके पसंद की आएगी पर क्योंकि उसकी बेटी की खुशी उसके लिए सबसे पहले थी इसलिए वह अपने आपको समझ आती है और बहुत खुशी से उन दोनों का स्वागत करती है। 

बेटा तुम्हारा नाम क्या है। बोलती है मेरा नाम राधिका है। 

शोभा कहती है बहुत ही प्यारा नाम है अंदर बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लेकर आती हूं। वह उसे  बहुत प्यार से खाना खिलाती है । 



कुछ दिन तक तो सब कुछ ठीक चलता है। राधिका के आने के बाद रवि का अपने मां के प्रति प्रेम कम होने लगता है। वह अपनी मां से दूर होता चला जाता है। और घर में बहुत लड़ाई होने लगती है राधिका बहुत घमंडी और बदमाश रहती है।  रवि के मन में अपनी मां के नफरत के बीज बोने लगती है। रवि भी अपनी पत्नी की तरह धीरे-धीरे लालची होने लगता है और अपनी मां से नफरत करने लगता है। पैसे का बहुत लालची हो जाता है। और अपनी मां की किए हुए सारी मेहनत को भूल जाता है। 

राधिका बहुत ही बुरी लड़की थी जो अपनी मां को एक बेटे से दूर कर दी जा रही थी। गूगल का कोई काम नहीं करती थी और शोभा को पढ़ने भी नहीं देती थी। सुबह को शुरू से ही पढ़ने का बहुत शौक था वह रोज पेपर पढ़ा करती थी और किताबें भी पर यह सब राधिका के आने के बाद बंद हो गया। 

क्योंकि राधिका उनकी सारी किताबों को जला देती है और पेपर तो छूने ही नहीं देती बोलती है यह मेरे पति के कमाए हुए पैसे के आते हैं फोकट में नहीं। 

रवि को पता नहीं क्या हो गया था वह बहुत ही लालची और घमंडी हो गया था उसे अपनी मां के आंसू नहीं दिखते थे उनके दर्द को वह नहीं समझ पाता था। 

बहुत उदास रहने लगी थी शोभा। घर का सारा काम करती थी बूढ़ी होने के बावजूद। राधिका आराम से टीवी देखा करती थी। यह सब रवि भी देखता था फिर भी वह कुछ नहीं कहता था क्योंकि वह राधिका से बहुत प्यार करता था। 

और वो ऐसा हो गया था मानो वह मां को त्याग सकता है पर राधिका को नहीं। 

बेचारी बूढ़ी मां कब तक यूं कष्ट सहते रहेंगे अंदर ही अंदर घुटने लगी और मन में सोचने लगी जिंदगी में क्या मिला सबके लिए इतना कुछ किया ससुराल से फेंक दी गई, थी मायके वाले ने नहीं अपनाया और अब बेटे को भी मेरी कोई कदर नहीं इस से अच्छा है कि मैं मर जाऊं। मेरे कोई इच्छा आज तक पूरी नहीं हुई मैं दूसरों के लिए जीती रह गई। 

1 दिन खाना बनाते बनाते हैं शोभा के हाथ से कांच का ग्लास गिर गया और टूटकर जमीन पर बिखर गया। उस दिन उसकी तबीयत भी कुछ ठीक नहीं लग रही थी ऐसा लग रहा था मानो उसे बार-बार चक्कर आ रहा हो। क्योंकि वह बहुत ज्यादा ही थक जाती थी। बर्तन के टूटने की आवाज सुनकर किचन में दौड़ती है और देखती है कि मैं एक गिलास टूट चुके हैं वह बहुत गुस्सा आती है और गुस्से में कहती है गुड़िया ठीक से काम नहीं किया जाता सिर्फ बैठ कर खाती है। 

यह सुनकर शोभा को बहुत गुस्सा आता है और वह उस दिन बोल पड़ती है तू मेरी बहू है या मैं तेरी काम तो तुझे करना चाहिए लेकिन सारे घर का काम मुझसे करवाती है घटिया औरत मैं तुम्हें क्या बोलूं मेरा तो बेटा ही खराब है। मुझे तो जीने का भी मन नहीं करता। सुबह गुस्सा में जितने भी शीशे के गिलास के सब जमीन पर पटक देती है। 

यह देख राधिका बहुत गुस्सा आ जाती है और अपनी सास के बाल पकड़ कर किचन से बाहर लेकर आते है। 

एक थप्पड़ देती है बोलती है तेरे कमाए हुए पैसे कहां क्या जो तूने तोड़ दिया आज के बाद तुझे एक ही वक्त का खाना मिलेगा। राधिका उसे जर से ठेल देती है और वह नीचे गिर जाती है। सुबह को बहुत बुरा लगता है और वह बहुत ज्यादा है गुस्सा जाती है और उठ कर राधिका को चोर कर दो थप्पड़ देती है । राधिका को गुस्सा आता है और वह स्टील की कटोरी उठाकर उसके माथे पर मार देती है जिससे शोभा केसर से खून निकलने लगता है। 

और वह दर्द से कराहने लगती । कुछ देर बाद रवि घर पर आता है और अपनी मां को ऐसे देख हॉस्पिटल लेकर जाते हैं वहां से मलहम पट्टी लगवा कर जब घर लेकर आता है। 

वह गुस्से में बोलता है  आपको ऐसा करने की क्या जरूरत थी। थोड़ा आराम से काम नहीं किया जाता है। अपने राधिका को थप्पड़ क्यों मारा बेचारी रो रही है। आप के चक्कर में मेरे पैसे बर्बाद हो गया इलाज कराने में। आपसे अच्छे से काम करना ठीक है और राधिका से मुंह मत लगाना वह जैसे रहती है उसे रहने दो। 

और आप और आप ठीक से सब कुछ करना फालतू में वरना पैसा बर्बाद होंगे हॉस्पिटल के चक्कर लगाने में। 

यह सुनकर शोभा हैरान हो जाती है और अंदर से टूट जाती है सिर्फ बहुत जोर से चिल्ला चिल्ला कर रोने का मन करता है पर वह मजबूर थी। अपने बेटे को बोलना तो चाहती थी पर वह सोचती है यह मेरे इतने करने के बाद भी जब इसके अंदर मेरे प्रति कोई प्रेम नहीं बचा , जिसके मन में कोई शर्म नाम की चीज ही नहीं है तो मैं इस घर में कैसे रह सकती हूं। ईश्वर ऐसा दिन दिखाने से पहले मुझे ऊपर बुला लिया होता। 


जब उसका बेटा उसके रूम पे जाता है तो शोभा के आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं लेते और वह अंदर ही अंदर से कपास रही थी। आज पहली बार उसकी आंखों से इतने आंसू गिरे कि उसका कपड़ा आंसुओं से पूरा भीग चुका था। शाम के 6:00 बजे से लेकर अभी रात के 3:00 बजे हैं। अचानक से वह अपने आंसुओं को पूछती है और अपना कपड़ा एक बैग में समेटने लगती है अपना सारा सामान रखकर अपने बेटे का एक फोटो अपने बैग में डाल कर वहां से निकल जाती है। 


जागो रहती थी वहां से वृद्धाश्रम 5  किलोमीटर की दूरी पर था । वह चलते-चलते अपने ख्यालों में खोई हुई थी और उसके आंसू रुकने का नाम अभी भी नहीं ले रहे थे । रोड पर चलत हुए उसका ध्यान अपनी जिंदगी पर चला गया बचपन से जितने भी उसे कष्ट मिले हैं उसके बारे में सोच रही थी। तभी उसके पैर के नीचे एक बड़ा सा पत्थर आ जाता है और वह उससे टकराकर गिर जाती है। उसके पैर में काफी चोट लग जाती है और उस से खून बहने लगता है वह खड़ा तो होना चाह रही थी पर चोट गहरा होने की वजह से वह नाकाम हो रही थी। 


तभी उसे करीब 5:00 बजे के लगभग स्कूटी से एक लड़की आती दिखी वह से मदद की गुहार करने लगी। तभी वह लड़की स्कूटी रूकती है और स्कूटी रोकती है , दादी मां क्या हुआ आपको इतना खून कैसे निकल रहा है। दुनिया में आपको पास के हॉस्पिटल में ले जाते हूं । 


वह लड़की उसे  हॉस्पिटल ले जाती है और मरहम पट्टी करवाती है। फिर दादी बेड पर बैठी रहती है और वह लड़की दवाई लेकर आती है दादी पूछती है बेटा तुम्हारा नाम क्या है वह बोलती है शिवानी । वो पूछती है‌ दादी आप अकेले जा कहां रहे थे वह भी इतना सामान लेकर। तभी सुबह का आंख का आंसू से बढ़ जाता है और वह बोलती हैं मैं अपने बेटे से तंग आकर घर छोड़कर वृद्धा आश्रम की तरफ जा रही थी। 

तभी यह घटना घट गई तभी शिवानी बोलती है अच्छा कोई बात नहीं मैं आपको वहां तक ले कर जाऊंगी वह वृद्ध आश्रम नहीं चलाती हूं चलिए मैं आपको वहां लेकर जाती हूं। 

वृद्ध आश्रम पहुंचने के बाद शिवानी उनको सब से मिल जाती है और बोलती है हमारे फैमिली में एक सदस्य और बढ़ गया। 

जितनी भी बूढ़ी औरत की शोभा को गले लगाती है और उसका स्वागत करती है। सुहाग अंदर से बहुत खुशी होती है उसे पहला भाग कोई बड़े प्यार से गले लगा रहा था। सब बोलते हैं मैडम आप हमें बहन ही समझो। उनसे यहां आने का कारण पूछा गया सुबह कहती है मैं अपना घर छोड़ कर आई हूं। मेरा बेटा बहुत बड़े कंपनी में मैनेजर है और उसकी पत्नी बहुत खूबसूरत है पर वह दोनों मुझसे प्यार नहीं करती तो मुझे अपना बना थोड़ा सा भी नहीं लगता पहले वह मेरा अपना बेटा पर वह बेटे का फर्ज भूल चुका था इसलिए मैं उस घर को छोड़ना ही सही समझी। 

इतना बंद कर सोना तो आंखों से आंसू आने लगता है।

तभी हम उसे पकड़ कर एक रूम में ले कर जाती है और गाना बजा कर सब डांस करने लगती है और सुबह को भी नचाती है। सुबह भी बहुत डांस करती है और फिर उनके खाने का वक्त हो जाता है वह लोग साथ में खाने बैठ जाते हैं शिवानी सुबह को कहती है अगर आपको किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बुला लीजिएगा मैं आपकी बेटी जैसी ही हूं। शिवानी की यह बात सुनकर शोभा का आंख नम हो जाता है। तभी शिवानी सुबह के पास जाती है और उसके सर पर किस करती है और बोलती है आप अकेली नहीं है यहां पर बहुत लोग आपके साथ हैं। 

कुछ दिन बीत जाने के बाद शोभा सब से घुलमिल जाती है। एक दिन वह शिवानी को बोलती हैं बेटा मुझे पढ़ने का बहुत शौक है मैं पढ़कर कुछ करना चाहती हूं भले ही मेरी आधी उम्र निकल चुकी है पर जितने भी बची है वह मैं अपने लिए जीना चाहती हूं । मैंने किसी तरह 10th निकाल लिया अब मुझे 12वीं की पढ़ाई करनी है और मैं चाहती हूं कि मैं नौकरी करूं। 


शोभा पहले से ही दिमाग की बहुत तेज थी । ठान लेती है कि उसे बहुत बड़ा कुछ करना पर वह इसका जिक्र किसी से नहीं करती बस शिवानी को बोलती है कि उसे आगे पढ़ना है। शिवानी उनके पढ़ने की बात सुनकर बहुत खुश होती है और उन्हें दूसरे दिन किताब लाकर दे देती है। 

शोभा बहुत खुश होती है और 1 साल से 2 साल बीतते बीतते 12वीं की पढ़ाई पूरी कर लेती हैं और उसमें डिवीजन भी फर्स्ट लाती है। कारपोरेट सेक्टर में जॉब ढूंढने के लिए चली जाती है।  क्योंकि वह ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी पर उससे बिजनेस में बहुत ज्यादा दिलचस्पी थी। वह वहां जाकर कुछ सीखना चाहती थी। 

वह जहां भी इंटरव्यू के लिए जाती थी उसे रिजेक्ट कर दिया जाता था क्योंकि उसकी उम्र बहुत ज्यादा थी पर एक कंपनी ने उसे एक्सेप्ट कर लिया। क्योंकि वह पहली बार ऐसा देख रहा था कि कोई बुढ़िया अपने सपनों से इतना प्यार करती थी कि वह उम्र ढल जाने पर भी अपनी कोशिश जारी रखी हुई थी। उसे नए क्लाइंट को संभालने का मौका दिया गया वह ऑफिस में काम करते करते हैं बहुत सारी चीजें सीख चुकी थी। 

कंपनी को कैसे चलाया जाता है किसी को कैसे हायर किया जाता है किसी क्लाइंट को कैसे प्रपोजल एक्सेप्ट करने के लिए मनाया जाता है वह कंपनी की छोटी सी छोटी चीजों पर ध्यान देकर हर चीज मालूम कर चुकी थी। 

वह काम  से वापस आने के बाद सब चीज हर एक छोटी से छोटी चीज वह अपनी डायरी में लिखती है। खाना खाने के बाद वह अपनी डायरी लेकर अकेले एक रूम में बैठ जाती है और नोट बनाते रहती है। और बिजनेस रिलेटेड बहुत सी किताबें खरीदकर अपने रूम में रखती है जिसे वह रात में पढ़ा करती है। 

वह मनी माय थान देती है कि वह इस शहर की सबसे बड़ी बिजनेस वुमन बनेगी। 

और अब उसका इस दुनिया में कोई नहीं था बेटा था तो वह उसे भी छोड़ कर आ चुकी थी अब वह बस अपने लिए जी रही थी। वह ऑफिस का हर एक काम बहुत अच्छे से करती थी जिसकी वजह से उसके पास उसे बहुत पसंद करते थे । 


उसे ऑफिस में डायरेक्ट नहीं रखा गया था वहां के हेड बोलते है आपकी उम्र बहुत ज्यादा है और आप मुझे नहीं लगता और लोगों की कंपैरिजन में ज्यादा काम कर पाओगे इसलिए मैं आपको 1 महीने का टाइम दूंगा उसमें मैं आपको बताऊंगा कि आप हमारे ऑफिस में काम करने लायक हो या नहीं। 

पर शोभा के काम को देखकर और उसकी पूर्ति जवान लोगों को भी पीछे कर रही थी वह हर एक काम इतनी बखूबी करती कि दूसरों की जरूरत ही नहीं पड़ती।  सुबह के बॉस बहुत खुश रहते हैं उनसे और हर एक काम में उनसे सलाह जरूर लेते हैं हर एक प्रोजेक्ट में उनकी हेल्प ली जाती थी। 

धीरे-धीरे उन दोनों में बहुत बनने लगी और वहां के बॉस उसको अपनी मां जैसी मानने लगे। उनकी बहुत इज्जत करते थे। और जब उन्हें उनकी जिंदगी के बारे में पता चला तब तो वह और भी ज्यादा इज्जत बढ़ गई उनकी आंखों में उसके लिए। 

काम करते करते इतना तो शोभा को पता चल चुका था कि उसकी जॉब यहां फिक्स हो चुकी है। सुबह का बॉस वह उसे मां की तरह व्यवहार करता था ।


ऑफिस में 2 साल काम करने के बाद शोभा अब सोचती है कि उसे खुद के दम पर कुछ करना चाहिए। हो जाती थी कि वह अपनी कंपनी खुद खोले । इतनी बड़ी कंपनी के साथ काम करते करते उसे बहुत लोगों से जान पहचान हो गई थी उसे सब कुछ मालूम हो चुका था कि से कैसे बात करना चाहिए किस को कैसे हायर करना चाहिए कंपनी की हर एक छोटी से छोटी थी उसे मालूम थी। 


अब कंपनी छोड़ने की सोचती है पर इतना पैसा ना होने की वजह से वह अपनी फूड कंपनी खोलने का सोचती है। 

वह अपने ही ऑफिस से लोन लेती हैं और उसी शहर में अपना एक स्टॉल खोलती है। वह बस देखना चाहती थी कि इस चीज की बाजार में कितनी बिक्री हो सकती है। 

पहले वह छानबीन करती है कि कौन सी चीज है पूरे शहर में नहीं बिकती उसके बाद वह डिसीजन लेती है कि वही चीज वह यहां पर  बेचेगी । उसी चीज का बिज़नेस करेगी। 


वह जब डाटा निकालती है तो उसे पता चलता है यहां के लोग सबसे ज्यादा नॉन वेजिटेरियन लोग हैं और जिस से चिकन खाना बहुत ज्यादा पसंद है और साथ ही साथ चीज का भी बिजनेस बहुत चल सकता है। पर यहां बात किस चीज की नहीं थी बात यहां थी कोई ऐसा चीज है जिसे लोग चाहकर भी टक्कर ना दे सके। वह चिकन की वैरायटी बनाना शुरू करती है। 


वो मोबाइल के जरिए अलग-अलग चिकन की रेसिपी सीखनी है और उसे अलग तरीके से बनाने की सस्ती है जो इंटरनेट पर दिया ही ना हो। फाइनली बहुत कोशिश करने के बाद वह सक्सेसफुल हो जाती है फोर्टिस कितना स्वादिष्ट होता है कि उसके वृद्धाश्रम के लोग खाते ही रह जाते हैं। जब वह रेसिपी बनाती है तो वह जल्दी से अपनी डायरी में नोट कर दिया और 1 से 2 सप्ताह वह लगातार हो रेसिपी प्रैक्टिस करती है और फाइनली उसे परफेक्ट रेसिपी बनाना आ जाता है और वह अपने बिजनेस के लिए तैयार हो जाती है। 


रूसी शहर में एक छोटा सा रूम लेती हैं और अपने बिजनेस को एक्सपेंड करती है। वहां पर चिकन की वही वैरायटी दी जाती है जो उसने स्क्रीन की सबसे फेमस में रहती थी और वह रेसिपी कहीं नहीं मिलती थी। 

रेस्टोरेंट के साथ-साथ ठेले पर भी अपना बिजनेस स्टार्ट करती है ताकि उसके हाथों का स्वाद हर तरह के लोगों के मुंह थक जाए । जैसा वह चाहती थी वैसा ही हुआ उसका बिजनेस इतना ज्यादा चलने लगा कि वह कम ही दिनों में पूरे शहर में फेमस हो गई।


लोगों की भीड़ इतनी ज्यादा संख्या में आने लगी कि उनको गिन पाना मुश्किल था। सुबह अपने बिजनेस को धीरे-धीरे जगह-जगह पर खुलती थी और धीरे-धीरे उसमें और भी चीजें ऐड करती गई। 

उसके हर एक फ्रेंड के बगल में एक चाय का शौक होता था जहां पर दो टाइम सुबह और शाम ऐसे लोगों को फ्री में चाय दिया जाता था जो लोग बहुत ज्यादा गरीब थे और स्टूडेंट भेजो पढ़ने के लिए शहर में रहने आते थे। क्योंकि कुछ लोग के पास खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे इसलिए कम से कम उसे चाय बिस्किट कि  सुविधा दी गई थी । 


सुबह को किसी भी चीज की जरूरत पड़ती तो वह अपने बॉस रोहन अग्रवाल के पास जाती और वह उसे बड़े अच्छे से ही हर चीज समझाता और उसे डिसीजन लेने में मदद करता था । सुबह का बिजनेस बड़ा होते देख रोहन अग्रवाल भी बहुत खुश था कि  वह शोभा को बिल्कुल अपनी मां की तरह मानता था । 

सुबह का बिजनेस इतना ज्यादा आसमान छूने लगा था कि बड़े-बड़े लोग उससे मिलने के लिए आने लगे थे । और हर एक शहर में उसका ब्रांच खुलने लगा था। सुबह बड़ी खुशी पर खुशी से ज्यादा उसे संतुष्टि थी कि मरने से पहले वह अपने लिए कुछ कर पाई। अब उसे मरते टाइम कोई अफसोस नहीं लगेगा कि वह अपनी जिंदगी में अपने लिए कुछ नहीं कर सकी । 


सोभा  के बिजनेस का नाम था डिनाराचेक ।


दिनारा चेक के नाम से शोभा बहुत फेमस हो गई पर उसका चेहरा बहुत लोग नहीं जब देखे थे । बहुत लोग उसे चेहरे से नहीं पहचानते थे । 

 पूरा भारत जानता था वह होटल इतना ज्यादा प्रचलित हो गया कि बाहर से वॉर्नर लोग भी यहां आकर खाना खाया करते थे। होटल सीपी का स्वाद ही इतना लाजवाब था कि एक बार खाने के बाद लोगों से दोबारा जरूर खाना चाहते थ। हालांकि डिनाराचेक में चिकन की बहुत सारी रेसिपी बनाई जाती थी पर सुबह के बनाई रेसिपी का कोई जवाब नहीं था।  

शोभा की रेसिपी का नाम था चिकन ड्रमस्टिक

सुबह की दिनारा चेक रेस्टोरेंट 2 साल में ही पिक पर पहुंच गया । 


कुछ दिन बाद रवि सोचता है कि वह भी डीनाराचेक में किनारा चेक में जॉब के लिए अप्लाई करे। हालांकि शोभा का बिजनेस पढ़ने के बाद वह काम से इधर उधर ही रहती थी पर कुछ दिन पहले ही शोभा अपने शहर में आई हुई थी रवि को नहीं पता था कि शोभा उसकी मां ही इतने बड़े रेस्टोरेंट की मालिक है ।

वह जॉब के लिए अप्लाई करता है और जो कि शोभा फ्री होती है इसलिए वह इंटरव्यू के लिए खुशी बुलाती है। शोभा अपनी कुर्सी पर सिंपल सी तंत्त की साड़ी पहनकर अपने हाथ में एक घड़ी लगाकर और एक जुड़ा करी हुई थी । उसकी कुर्सी के पीछे लैब बना हुआ था जहां पर ढेर सारी किताबें और फाइल रखी हुई थी । शोभा अपनी कुर्सी से उठती है और पीछे रख इस्लाम से कुछ फाइलें निकालने लगती है तभी गेट पर नॉक होता है और कोई पूछता है " मे आई कम इन मैम" । 

वह आवाज सुनकर शोभा मानो जम गई। वह ऐसी वैसी खड़ी रह गई । रवि फिर से पूछता है " मे आई कम इन मैम " ।

सुबह समझ जाती है कि वह रवि है । वह झूठ मुठ फाइल खोजने का नाटक करती है और उसे कहती है तुम बैठो। 

दो-तीन मिनट बीतने के बाद रवि कहता है ना जाने क्यों आप पीछे से बिल्कुल मेरी मां की तरह लगती हैं और आपकी आवाज भी उनसे काफी हद तक मिलती है। 

यह बात सुनकर शोभा कहती है चलो कुछ तो याद है तुम्हें। 

और पीछे मुड़कर कहती है तुम्हारी मां जैसी नहीं तुम्हारी मां ही है । रवि उसे देखकर हक्का-बक्का रह जाता है और कुर्सी से खड़ा हो जाता है । बोलता है मां तुम !! 

सुबह कहती है हां मैं ही।

रवि सर हमसे नीचे सर कर लेता है । 

तुम्हारे लिए खून पसीना एक करके मैंने तुम्हें इतनी मेहनत से पाला इतनी शिद्दत से पाला लेकिन मेरी किस्मत ही खराब थी। मैं मां होने के नाते तुम्हें सब कुछ दिया किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी पर मेरे अचानक से घर छोड़कर जाने के बाद भी तुम मुझे खोजने नहीं आए जबकि मैं इस शहर से नहीं तुम्हारे घर से बस 5 किलोमीटर की दूरी पर थी। 


तुम्हारे लिए कल की आई वह लड़की ज्यादा इंपॉर्टेंट हो गई तुम्हें शिद्दत से खून पसीना एक कर के पालने वाली मां को छोड़कर। 

मुझे शर्म आती है तुम्हें अपना बेटा कहने में जो मेरा बेटा नहीं था जिसे मैंने अपने कोख से जन्म नहीं दिया वह तुमसे ज्यादा अच्छे हैं और तुमसे ज्यादा मुझे प्यार करते हैं और इज्जत इज्जत की तो बात ही मत पूछो तो अच्छा है । 

जिंदगी भर दूसरों के लिए करती रही पर मुझे कुछ नहीं मिला ना मायके की रही ना ससुराल की और ना ही बेटे ने मुझे रखा इसलिए मैंने ठान लिया जिंदगी भर जितना भी किया किया अब जितनी भी जिंदगी बची है वह मैं खुद के लिए जाऊंगी और यही जिंदगी है मेरी जो मैं अपने दम पर खुद के लिए बनाई हूं। 

तुम यहां से जा सकते हो मैं तुम्हें नौकरी नहीं दे सकती कहीं और ढूंढ लेना तुम नौकरी । भगवान करे तुम्हें कहीं अच्छी जगह पर जॉब मिल जाए और जो तुमने मेरे साथ किया है भगवान ना करे तुम्हारे साथ कभी ऐसा हो। 

जाओ यहां से चले जाओ और फिर कभी यहां पर आना मुक्त मैं तुम्हें नहीं देखना चाहती बेटा बहुत कर लिया तुम्हारे लिए अब मैं अंदर से टूट चुकी हूं । 

रवि अंदर से ही बहुत पछताने लगता है और सर हमसे उसका सर उठता नहीं है। कुर्सी से खड़ा होता है और अपनी मां के पैर पर गिर जाता है और बोलता है मां मुझे माफ कर देना मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई भगवान की तरह पूछने वाली मां को मैंने बहुत कष्ट दिए हैं मुझे माफ कर देना मुझे तो मरने पर भी स्वर्ग नहीं नसीब होगा मुझे तो नरक में भी जगह नहीं मिलेगी। मैंने इतना बड़ा पाप किया है। 

सुबह की आंखों में आंसू आ जाता है पर वह उसे माफ नहीं करती है रवि उठकर बाहर चला जाता है और अंदर ही अंदर वह खुद को कोसने लगता है। और खुद को बुरा भला बोलने लगता है उसे अपनी मां की किए हुए हर एक पश्चाताप याद आने लगते हैं और वह खुद को जीने के लायक नहीं समझता है वह अपनी जान देना चाहता था पर उसका भी फैमिली था वह कुछ नहीं कर सकता था। 



मेरे प्यारे दोस्तों जो आप को जन्म देते हैं जो आपको इतनी शिद्दत से पाल पोस कर बड़ा करते हैं उनकी इज्जत सबसे ऊपर होनी चाहिए अपने सपनों को सैक्रिफाइस करके अपने बच्चे के लिए इतना कुछ करना हर कोई नहीं करता एक मां-बाप ही कर सकते हैं इसलिए उन्हें अच्छे से रखें और उनकी इज्जत करें। 


थैंक्स फॉर कमिंग। 

आपको स्टोरी कैसी लगी मुझे कमेंट में लिखकर जरूर बताएं और यह भी बताएं आपको किस तरह की स्टोरी पढ़ना पसंद है ताकि मैं अगली बार से आपके लिए आपके पसंद की कहानी लिख सकूं।


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